उनके अतिरिक्त पथ के दावेदार के सभी सदस्य उपस्थित थे।
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अपने छात्रों को अपने बच्चों सा मानकर उन्हें जिंदगी की राह दिखाना, ज्ञान देने के अतिरिक्त पथ प्रदर्शक बनना, आज के इस व्यवसायिक युग में कोई कोई ही कर पाता है।
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अपने छात्रों को अपने बच्चों सा मानकर उन्हें जिंदगी की राह दिखाना, ज्ञान देने के अतिरिक्त पथ प्रदर्शक बनना, आज के इस व्यवसायिक युग में कोई कोई ही कर पाता है।
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नये वर्ष में वह चाहती हैं कि-शैशव से शमशान तक के सफर को आसान बनाने की कोशिश की है-छात्रों के साथ बिताये उनके पलों को देखिये-अपने छात्रों को अपने बच्चों सा मानकर उन्हें जिंदगी की राह दिखाना, ज्ञान देने के अतिरिक्त पथ प्रदर्शक बनना, आज के इस व्यवसायिक युग में कोई कोई ही कर पाता है।